मुस्कुराते हुए चेहरों का,खिलखिलाती हुई हसी का ,
कुछ खट्टी मीठी यादों का ,कुछ रंग बिरंगी शामों का
की ये है रिश्ता सात सालों का !!
इस दुनिया में हर परिवार का सपना होता है, उसका अपना एक मकान, ईंट , चूने , सीमेंट से बना खुदका एक मकान | लेकिन मकान में रहनेवाले ही उसे मकान से घर बना सकते हैं | ऐसे ही एक घर का नाम है राजवीर पैलेस फेज - २ | जो ईंट, चूने , सीमेंट की जगह बना है , उसमें रहने वाले लोगों के आपस में प्यार से , उनके चेहरों की हंसी से , उनके रंग बिरंगे व्यवहार से और उनकी ज़िंदा दिली से |
जिस दिन हम इस सोसाइटी में आये थे उस दिन एक बात तो तय थी , कि हमारा जीवन बदलने वाला है | बस उम्मीद यह थी कि ये परिवर्तन सकारात्मक दिशा में हो और बिल्कुल वही हुआ जिस्की उम्मीद थी , कई लोग मिले कई लोग बिछड़े, भारत के भिन्न भिन्न प्रदेशों से , भिन्न - भिन्न जाति प्रजाति के लोग | इतनी भिन्नता होने के बावजूद एक चीज़ जिसने सबको जोड़े रखा वो है प्रेम और स्नेह |
जहां प्यार है वहां टकरार होना लाज़मी है तभी एक परिवार पूरा होता है | राजवीर फेज २ एक ऐसा परिवार है जिस्की ज़िंदा दिली के चरचे आस पास की सभी सोसाइटी में चलते हैं , फिर चाहे वो खेल हो , चाहे नृत्य हो या पिक्चर का निर्माण। ऐसा कोई कार्य नहीं जिसमे इस सोसाइटी के लोग निपूर्ण न हो और हमारे रंगा रंग कार्यक्रमों और त्योहारों के उत्सव मानाने के तरीके के कहने ही क्या। चाहे होली हो, चाहे दिवाली, चाहे राजवीर प्रीमियर लीग , क्रिस्टमस या सबका प्यारा गणेशोत्सव, यहाँ हर त्यौहार हर्षो उल्लास से मनाया जाता है |
जो लोग साथ हैं वो यूँ ही चलते रहें और जो बिछड़ गए उनसे
कुछ खट्टी मीठी यादों का ,कुछ रंग बिरंगी शामों का
की ये है रिश्ता सात सालों का !!
इस दुनिया में हर परिवार का सपना होता है, उसका अपना एक मकान, ईंट , चूने , सीमेंट से बना खुदका एक मकान | लेकिन मकान में रहनेवाले ही उसे मकान से घर बना सकते हैं | ऐसे ही एक घर का नाम है राजवीर पैलेस फेज - २ | जो ईंट, चूने , सीमेंट की जगह बना है , उसमें रहने वाले लोगों के आपस में प्यार से , उनके चेहरों की हंसी से , उनके रंग बिरंगे व्यवहार से और उनकी ज़िंदा दिली से |
जिस दिन हम इस सोसाइटी में आये थे उस दिन एक बात तो तय थी , कि हमारा जीवन बदलने वाला है | बस उम्मीद यह थी कि ये परिवर्तन सकारात्मक दिशा में हो और बिल्कुल वही हुआ जिस्की उम्मीद थी , कई लोग मिले कई लोग बिछड़े, भारत के भिन्न भिन्न प्रदेशों से , भिन्न - भिन्न जाति प्रजाति के लोग | इतनी भिन्नता होने के बावजूद एक चीज़ जिसने सबको जोड़े रखा वो है प्रेम और स्नेह |
जहां प्यार है वहां टकरार होना लाज़मी है तभी एक परिवार पूरा होता है | राजवीर फेज २ एक ऐसा परिवार है जिस्की ज़िंदा दिली के चरचे आस पास की सभी सोसाइटी में चलते हैं , फिर चाहे वो खेल हो , चाहे नृत्य हो या पिक्चर का निर्माण। ऐसा कोई कार्य नहीं जिसमे इस सोसाइटी के लोग निपूर्ण न हो और हमारे रंगा रंग कार्यक्रमों और त्योहारों के उत्सव मानाने के तरीके के कहने ही क्या। चाहे होली हो, चाहे दिवाली, चाहे राजवीर प्रीमियर लीग , क्रिस्टमस या सबका प्यारा गणेशोत्सव, यहाँ हर त्यौहार हर्षो उल्लास से मनाया जाता है |
जो लोग साथ हैं वो यूँ ही चलते रहें और जो बिछड़ गए उनसे
फिर मिलने की उम्मीद के साथ आइये देखें पिछले साथ सालों में बिताये हुए वो पल जो हमें हर पल यादगार रहेंगे , चाहे हम यहाँ रहें या ना रहें|
कुछ पल साथ चले , कुछ पल साथ हांसे ,
उन पलों को दिलों की तिजोरी में हमेशा संभालके रखना ,
ज़िन्दगी बहुत लम्बी है दोस्तों , फिर मिलने की उम्मीद के साथ ,
कभी अलविदा न कहना!!
इन रंग बिरंगी तस्वीरों में दिखता है प्रमाण इस परिवार की ज़िन्दा दिली का
१. इस्की शुरुवात हुई सं २०११ के गणतंत्र दिवस से, जिसमे सभी बच्चों और बड़ो ने अपनी-अपनी प्रतिभा दिखलाई
२. उस साल गणपति बाप्पा पहेली बार हमारे घर आये , उनकी आने की ख़ुशी और हर्षो उल्हास सबके चेहरों पे देखते ही बनता था
३. फिर उसी साल हुआ पहला राजवीर फेज २ प्रीमियर लीग , जिसमे करीब २० लोगो ने बड़े उत्साह से भाग लिया ,
४. जब बड़े इतने उत्साही थे तो बच्चे भी पीछे कहाँ रुकने वाले थे , बच्चों ने भी चित्रकारी स्पर्धा मे जम कर भाग लिया,
५. नवरात्री में माता की आरती के साथ ९ दिन के गरबे , फिर दशहरे का रावण दहन और दिवाली का त्यौहार मनाकर सभी ने अच्छाई की बुराई पे हुई विजय का त्यौहार मनाया
६. फिर मनाई गई लोढ़ी जिसमें सभी ने कुनकुनी सर्दी के साथ सिकी हुई मूंगफलियों और रेवड़ी के मज़े लुटे,
७ . हमारी पहेली होली इतनी रंग बिरंगी थी की उसका रंग अभी तक हमारे दिलो पर चढ़ा है और हर साल की होली पे और गहरा होता जाता है
८. धीरे धीरे हमारी प्रतिभा इतनी निखरी की कई महिलाओ और बच्चों ने भिन्न भिन्न त्योहारों में सामूहिक और एकल नृत्य प्रस्तुत किये, जो की किसी भी व्यक्ति का मन मोह ले
९ फिर हर साल बच्चो का मन मोहने क्रिसमस पे आते हैं हमारे अपने सांताक्लॉस , जो बच्चो को हसाते हैं, गुदगुदाते हैं और खूब उपहारबाँटते हैं
१० सन २०१६ भी एक ऐतिहासिक साल रहा, क्योंकि इस साल बनी हमारी पहेली डॉक्यूमेंट्री मूवी 'दार्शनिक ' जो की स्वामी विवेकानंद की सीख को दर्शाती एक कमाल की डॉक्यूमेंट्री थी। इसमें राजवीर के सभी लोगों ने अपने अभिनय के कौशल क़ो आज़माया। इस्की चर्चा स्थानीय अखबारों मे भी की गई।
११ सन २०१७ का नाईट क्रिकेट का आयोजन भी यादगार रहा. इसमे भी हमारे सभी भाइयो और बहेनो ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया।
तो देखा आपने चाहे वो २६ जनवरी हो , १५ अगस्त या कोई खेल त्यौहार, इस सोसाइटी के लोग किसी से काम नहीं हैं।
आशा करते हैं की खेल-त्यौहार मानाने का सिलसिला यूं ही चलता रहे और रिश्तों का कारवां यूं ही बढ़ता रहे।
जय हिन्द !!!
ज़िन्दगी बहुत लम्बी है दोस्तों , फिर मिलने की उम्मीद के साथ ,
कभी अलविदा न कहना!!
इन रंग बिरंगी तस्वीरों में दिखता है प्रमाण इस परिवार की ज़िन्दा दिली का
१. इस्की शुरुवात हुई सं २०११ के गणतंत्र दिवस से, जिसमे सभी बच्चों और बड़ो ने अपनी-अपनी प्रतिभा दिखलाई
२. उस साल गणपति बाप्पा पहेली बार हमारे घर आये , उनकी आने की ख़ुशी और हर्षो उल्हास सबके चेहरों पे देखते ही बनता था
३. फिर उसी साल हुआ पहला राजवीर फेज २ प्रीमियर लीग , जिसमे करीब २० लोगो ने बड़े उत्साह से भाग लिया ,
४. जब बड़े इतने उत्साही थे तो बच्चे भी पीछे कहाँ रुकने वाले थे , बच्चों ने भी चित्रकारी स्पर्धा मे जम कर भाग लिया,
५. नवरात्री में माता की आरती के साथ ९ दिन के गरबे , फिर दशहरे का रावण दहन और दिवाली का त्यौहार मनाकर सभी ने अच्छाई की बुराई पे हुई विजय का त्यौहार मनाया
६. फिर मनाई गई लोढ़ी जिसमें सभी ने कुनकुनी सर्दी के साथ सिकी हुई मूंगफलियों और रेवड़ी के मज़े लुटे,
७ . हमारी पहेली होली इतनी रंग बिरंगी थी की उसका रंग अभी तक हमारे दिलो पर चढ़ा है और हर साल की होली पे और गहरा होता जाता है
८. धीरे धीरे हमारी प्रतिभा इतनी निखरी की कई महिलाओ और बच्चों ने भिन्न भिन्न त्योहारों में सामूहिक और एकल नृत्य प्रस्तुत किये, जो की किसी भी व्यक्ति का मन मोह ले
९ फिर हर साल बच्चो का मन मोहने क्रिसमस पे आते हैं हमारे अपने सांताक्लॉस , जो बच्चो को हसाते हैं, गुदगुदाते हैं और खूब उपहारबाँटते हैं
१० सन २०१६ भी एक ऐतिहासिक साल रहा, क्योंकि इस साल बनी हमारी पहेली डॉक्यूमेंट्री मूवी 'दार्शनिक ' जो की स्वामी विवेकानंद की सीख को दर्शाती एक कमाल की डॉक्यूमेंट्री थी। इसमें राजवीर के सभी लोगों ने अपने अभिनय के कौशल क़ो आज़माया। इस्की चर्चा स्थानीय अखबारों मे भी की गई।
११ सन २०१७ का नाईट क्रिकेट का आयोजन भी यादगार रहा. इसमे भी हमारे सभी भाइयो और बहेनो ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया।
तो देखा आपने चाहे वो २६ जनवरी हो , १५ अगस्त या कोई खेल त्यौहार, इस सोसाइटी के लोग किसी से काम नहीं हैं।
आशा करते हैं की खेल-त्यौहार मानाने का सिलसिला यूं ही चलता रहे और रिश्तों का कारवां यूं ही बढ़ता रहे।
जय हिन्द !!!