Wednesday, August 16, 2017

गणेश चतुर्थी

शिवाजी मराठा साम्राज्य के संस्थापक के समय से पुणे में एक सार्वजनिक आयोजन के रूप में गणेश चतुर्थी मनाया जा रहा था। 17 9 4 से 1818 के अंत तक साम्राज्य के वास्तविक आनुवंशिक प्रशासक पेशवाओं ने पुणे में इस उत्सव को प्रोत्साहित किया क्योंकि गणेश उनके परिवार के कुलदेवता थे । पेशवाओं के पतन के साथ, गणेश चतुर्थी ने राज्य संरक्षण खोया और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य तिलक द्वारा पुनर्जीवित होने तक सिर्फ एक निजी पारिवारिक त्यौहार बनकर रह गया।

18 9 3 में, लोकमान्य तिलक ने इस वार्षिक घरेलू त्यौहार को बड़े, संगठित सार्वजनिक आयोजन में बदल दिया।  तिलक ने  गणेश चतुर्थी को राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में लोकप्रिय बनाया , ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच के अंतर को मिटाया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ महाराष्ट्र में लोगों के बीच राष्ट्रवादी उत्साह पैदा किया ।

तिलक के प्रोत्साहन के तहत, त्यौहार में  बौद्धिक प्रवचन, कविता की पढ़ाई, नाटकों के प्रदर्शन, संगीत समारोह और लोक नृत्यों के रूप में सामुदायिक भागीदारी में मदद की। यह सभी जातियों और समुदायों के लोगों के लिए एक बैठक मैदान के रूप में काम करता था ।

यह माना जाता है की बुद्धि के देवता गणेश 10 दिन तक पृथ्वी पर अपने भक्तों के साथ रहने के लिए आते हैं ।
हिंदू 10 दिनों के लिए गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाते हैं और इस त्यौहार के 11 वें दिन गणेश विसर्जन करते हैं।
हिन्दू इस बात को मानते है की ऐसा करने से श्री गणेश कि अपने घर कैलाश पर्वत की यात्रा शुरू हो जाती है और साथ ही वो सभी भक्तो के दुःख दर्द भी ले जाते हैं ।

यह दिन भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। गणेश शिव-पार्वती के पुत्र हैं ।
वह बुद्धि के देवता हैं और माना जाता है कि किसी भी कार्य को करने से पहले अगर इनकी पूजा की जाए तो वह कार्य अवश्य पूरा होता है और पूजा करने वाले को पुण्य की प्राप्ति होती है ।


हर साल अगस्त और सितंबर माह में गणेशोत्सव मनाया जाता है । यह गणेश चतुर्थी से शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है।
 पहले दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियां लाते हैं और पूजा करते हैं। यहाँ तक की
समाज और सार्वजनिक स्थानों में भगवान गणेश की मूर्तियों की पूजा की जाती है और बहुत  सी विभिन्न सजावटें होती हैं।


इस त्यौहार के 10 दिनों में गणेश जी की प्रतिमा को तरह तरह के आभूषणों के साथ सजा कर स्थापित किया जाता है तथा तरह तरह की साजो सामग्री रखी जाती है ।
आइये श्री गणेश के वाहन आभूषण और अन्य सामग्री के बारे में कुछ जाने

मूषक (चूहा ) : - भगवान गणेश का वाहन छोटा सा चूहा है, इससे हमें ये सीख मिलती है की मनुष्य को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए और अगर विश्वास और बुद्धि हो तो बहुत सीमित स्रोत के साथ बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है । जहाँ गणेश है वहाँ मूषक है।

गणपति दुर्वा : - इसकी भी कई दिलचस्प कहानियाँ हैं ।
ऐसा माना जाता है की एक दिन धन के भगवान कुबेर ने अपनी धन दौलत की नुमाइश करने अहंकार में आकर सभी भगवानों  को भोजन के लिए आमंत्रित किया।  इस बात को सुनकर श्री गणेश ने कुबेर को सबक सिखाने का निश्चय किया।  जब खाना शुरू हुआ तो श्री गणेश की भूक मिटने का नाम ही नहीं ले रही थी। उनको खिलाते खिलाते कुबेर का खज़ाना खाली हो गया और कुबेर बहुत शर्मिंदा होकर शिव-पारवती के पास पहुँचा । तभी माता पारवती ने २ मोदक कुबेर को दिए और ये कहकर कुबेर को श्री गणेश को खिलने भेजा की श्री गणेश श्रद्धा के भूके हैं।  जब कुबेर ने पूरी श्रद्धा के साथ माफ़ी माँगते हुए श्री गणेश को वह २ मोदक खिलाये तो उनकी भूक शांत हुई।  पर इससे श्री गणेश के पेट में बहुत जलन होने लगी तो माता पारवती ने उन्हें  दूर्वा खिलाया और उनका पेट शांत हुआ।  इसलिए उनकी पूजा में दुर्वा ज़रूर रखा जाता है।

गणपति मोदक : - मोदक एक ख़ास तरह की मिठाई है जो गणेश जी को इस त्यौहार मे चढ़ाई जाती है।
ऐसा कहा जाता है की एक बार सभी देवता कैलाश पर मोदक लेके गए और भवान शिव और देवी पारवती को कहा की जो ये खाएगा वो अत्यंत शक्तिशाली और बुद्धिमान बन जायेगा। माता पारवती ने ये मोदक अपने दोनों पुत्रों (गणेश और कार्तिकेय) मे बाँटने की बात की , परन्तु दोनों इस बात से राज़ी नहीं हुए।  फिर गणेश और कार्तिकेय के बीच एक प्रतियोगिता रखी गई जिसमे ये शर्त रखी की जो पूरे ब्रम्हांड का चक्कर लगाके पहले कैलाश वापस आएगा वह विजयी होगा और उसे  वह मोदक मिलेगा। कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठके चक्कर लगाने उड़ गए , परन्तु श्री गणेश का वाहन था चूहा जिसके लिए ये करना संभव नहीं था।  श्री गणेश ने बुद्धी लगाई और यह कहा कर शिव-पारवती के चक्कर लगा लिए की उनके लिए उनके माता पिता ही ब्रम्हांड हैं  और वह प्रतियोगिता जीत गए। इस प्रकार उन्हें मोदक मिला और वो बुद्धि के देवता बन गए।

हिबिस्कस फूल: - यह माना जाता है कि किसी भी पूजा में फूलों का विशेष महत्व है और यदि आप भगवान् के पसंदीदा फूल देकर उनकी पूजा करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं । लाल हिबिस्कस फूल
व्यक्तिगत तौर पर गणेश का पसंदीदा फूल है। इस फूल के पाँच पत्ती का अर्थ है, सभी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हुए सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करना।


गणपति मुकुत (मुकुट): - गणेश का विशाल मुकुट  उनकी अनूठी सोच को परिभाषित करता है।

गणपति सूंड (ट्रंक): - गणपति श्लोक का पहला शब्द 'वक्रतुंड' बताता है कि वह मुड़ी हुई सूंड वाले ईश्वर है
और वह उसमें कुछ भी पकड़ सकते है और अपने बाएं हाथ से मिठाई भी खा सकते है ।

त्रिशूल: - ब्रम्हांड के निर्माता भगवान शिव त्रिशूल को अपने हथियार के रूप में रखते हैं। उन्होंने इसका इस्तेमाल करके श्री गणेश का सर काट दिया था, परन्तु जब शिवजि ने उन्हें जीवन दान दिया तो ये त्रिशूल श्री गणेश के हाथ में भी रखा गया।

गणपति आभूषण: -  हमारे गणेश जी को सजाने के लिए बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के आभूषण और सामान हैं जैसे मोती के लंबे हार, स्वर्ण का हार, दुूर्वा और हिबिस्कस फूल, गणपति बड़े-बाली, गणपति शाल, गणपति बसुंद, गोल चतुर्भुज, माथे गौण औरबहुत सारे ।